कहानी संग्रह >> अधूरे पंख अधूरे पंखसुधीर मौर्य
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प्रस्तुत पुस्तक में लेखक की चुनी हुई 13 कहानियों का संग्रह है
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
कितना भोलापन था उस दिन तुम्हारे चेहरे पर, मंदिर में राधा कृष्ण की मूर्ति के आगे जब तुम हाथ जोड़कर खड़ी थीं। मैं कभी तुम्हें और कभी मूर्ति को निहार रहा था। मंदिर से बाहर आकर गार्डन में टहलते हुए जब मैंने तुमसे पूछा, मुझसे शादी करोगी उस समय तुम्हारा चेहरा लाज से लाल हो गया था।
तुम मुंह से कुछ न बोली थीं पर सर को हाँ के इशारे में हिलाकर आँखें नीची करके घास को देखने लगी थीं। सच उस दिन मुझे अपरिमित खुशी मिली था, पर मैं भी अपने होठों से कुछ बोल न सका था
हम मंदिर परिसर से बाहर आ गये थे। तुम कालेज जाना चाहती थीं एक रिक्शा रोक कर हम उसमें बैठ गये .....
तुम मुंह से कुछ न बोली थीं पर सर को हाँ के इशारे में हिलाकर आँखें नीची करके घास को देखने लगी थीं। सच उस दिन मुझे अपरिमित खुशी मिली था, पर मैं भी अपने होठों से कुछ बोल न सका था
हम मंदिर परिसर से बाहर आ गये थे। तुम कालेज जाना चाहती थीं एक रिक्शा रोक कर हम उसमें बैठ गये .....
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